Tuesday, May 20, 2025

हल्द्वानी की हुंकार – चार पिलर पार

  एलआईसी हल्द्वानी मंडल ने 31.03.2025 को चार पिलर पूरे कर लिए — ये तो वाकई गर्व और जश्न का मौका है!

यहाँ एक दमदार, जोश से भरी और सम्मान से लबालब कविता है जो इस ऐतिहासिक उपलब्धि को समर्पित है:


हल्द्वानी की हुंकार – चार पिलर पार 


चार नहीं ये बस पिलर थे,

ये थे संकल्प हमारे जो दिल में थे।

हल्द्वानी मंडल ने कर दिखाया,

हर चुनौती को हँसकर अपनाया।


पहला पिलर — न्यू बिज़नेस की आग,

हर एजेंट बना था सफलता का भाग।

हर ग्राहक तक पहुँची हमारी बात,

भरोसे से भरी हर नई शुरुआत।


दूसरा — रिन्युअल का विश्वास,

न छोड़ा किसी पॉलिसी को अधूरा पास।

समय पर सेवा, समय पर साथ,

यही है एलआईसी की असली बात।


तीसरा – सहयोग की ताक़त,

हर पुराने ढांचे को दी नई शक्ल और हिम्मत।

रिश्तों का जोड़, भरोसा बढ़ाया,

जो खो रहा था, उसे भी लौटाया।


और चौथा — रिक्रूटमेंट का जोश,

नया खून, नई सोच, नई दिशा का होश।

हर कोने से आया नया दम,

मंडल बना फिर से अजेय कदम।


अब बोलो ज़ोर से, तालियों के साथ,

हल्द्वानी मंडल ने रच दिया इतिहास।

चार पिलर नहीं सिर्फ़ एक लक्ष्य की बात,

ये है समर्पण, जुनून और संगठन की सौगात।


सलाम है टीम को, इस जज़्बे को सलाम,

एलआईसी हल्द्वानी – अब हर दिल का है नाम!


#lic

#lichaldwani

Friday, April 18, 2025

Panchachuli Base Camp Trek


    
                                             पंचाचूली

पंचाचूली बेस कैंप ट्रेक: जहाँ प्रकृति खुद कहानी कहती है हिमालय की गोद में बसा एक ऐसा ट्रेक जो न केवल रोमांच से भरपूर है, बल्कि आत्मा को भी शांति देता है – यही है पंचाचूली बेस कैंप ट्रेक। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित पंचाचूली पर्वत श्रृंखला पाँच प्रमुख चोटियों के लिए जानी जाती है, जो एक पौराणिक कथा से जुड़ी हुई हैं कि पांडवों ने यहीं से स्वर्ग की ओर प्रस्थान किया था। ट्रेक की शुरुआत – धारचूला से इस ट्रेक की शुरुआत होती है उत्तराखंड के एक छोटे से शहर धारचूला से। यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको पहले हल्द्वानी या काठगोदाम से एक लंबे लेकिन खूबसूरत सफर के लिए तैयार रहना होगा। धारचूला से आगे ट्रेकिंग का असली रोमांच शुरू होता है। रास्ता – प्रकृति की गोद में धारचूला से शुरू होकर ट्रेक दर, सेबला, नग्लिंग, बोन, और अंततः सुकिया होते हुए पंचाचूली बेस कैंप तक पहुँचता है। हर गाँव में कुमाऊं की संस्कृति की एक झलक मिलती है – लकड़ी के पुराने घर, पहाड़ी लोगों की गर्मजोशी, और रास्ते में बहती गोरीगंगा नदी की कलकल आवाज़। चुनौती और सौंदर्य का संगम ट्रेक का रास्ता कठिनाई और सुंदरता दोनों का अद्भुत संगम है। कहीं पत्थरीले रास्ते हैं, तो कहीं घने जंगल। कभी-कभी तेज़ बर्फीली हवाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन जैसे ही पंचाचूली की चोटियाँ सामने दिखती हैं, सब थकावट छू मंतर हो जाती है। पंचाचूली बेस कैंप – स्वर्ग का द्वार करीब 13,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित बेस कैंप से पंचाचूली की पाँचों चोटियाँ इतनी नज़दीक दिखती हैं कि मानो हाथ बढ़ाकर छू सकते हों। सुबह की पहली किरण जब इन चोटियों पर पड़ती है, तो पूरा आसमान सुनहरे रंग से भर जाता है – यह नज़ारा शब्दों से नहीं, केवल आँखों से महसूस किया जा सकता है। यात्रा की सीख पंचाचूली ट्रेक केवल एक एडवेंचर नहीं है, यह एक आत्मिक अनुभव है। यह सिखाता है कि सादगी में कितना सौंदर्य है, और प्रकृति के साथ चलना कितना सुकूनदायक हो सकता है।