Wednesday, June 12, 2024

वीज़ा अमरीका का

         

                     वीज़ा अमरीका का 

जैसे शादी के लिए पहले सगाई होती है उसी तरह किसी देश में जाने के लिए पहले वीज़ा लेना पड़ता है ।  शादीबिना सगाई के भी हो जाती है लेकिन देश से बाहर जाने के लिए वीज़ा लेना बहुत ज़रूरी होता है और अमेरिका का वीज़ा मिलना , किसी मनचाही खूबसूरत हीरोइन का मिल जाना । 

शशी और मैं, खुरपिया के एक छोटे से गाँव में पढ़ते थे | तब हमारे लिए हमारा अमेरिका किताबों तक ही सीमित था । हम भूड़ा , खलुआ , भट्टा  देवरिया और  किछा , यही तक हमारी दुनिया सीमित थी । शशि और मैं  स्काउट और गाइड में टोली नायक बना करते थे ।  इसके बहाने कभी शान्तिपुरी , रुद्रपुर आदि घूमने का मौका मिलता था । एक दोस्त राम चन्दर  जो स्काउट के बदौलत   कभी नैनीताल जा पाया था , उसने बताया की नैनीताल बहुत सुन्दर है और जब झील के किनारे चलो तो बादल हमारे साथ चलते है , ऐसा  लगता है कि हम बादल में चल रहे है ।  तब हम सोचते थे कि बादल में कैसे चलते होंगे ?

शशि पढ़ाई करने के बाद जॉब में अमेरिका चला गया । हमारे खुरपिया से कोई लड़का पहली बार विदेश गया था वह भी अमेरिका । हर तरफ गाँव में शशि कि चर्चा होने लगी । कभी शशि अमेरिका से फोन करता था तो हमे गर्व महसूस होता था कि हमारा भी दोस्त है अमेरिका में ।  उस समय व्हाट्सप्प नहीं था तो हम शशि को कॉलिंग नहीं कर पाते थे उस समय इंटरनेशनल कॉल बहुत महंगी थी । लेकिन जब भी वह इंडिया आता हम मिलकर खूब बाते करते और बचपन की  बात करके खूब हँसते थे । 

शशि अक्सर कहता आओ एक बार अमेरिका का चक्कर लगा लो । सात समंदर पार चक्कर लगाना , हमसे नैनीताल का चक्कर नहीं लगता था  फिर पईसा और  उसके बाद वीजा ?

एक बार शशि आया तो वो और मैं भीमताल गए वहाँ हमने एक विडिओ बनाई " अमेरिका से आया मेरा दोस्त " और उस दिन बचपन की  बाते याद करते हुए हम बहुत हँसे । इस बार शशि सिरियस होकर बोला  "यार इस बार अपना अमेरिका का वीजा लगवा लो, खूब फन करेंगे  "  

बचपन में कभी सोचा नहीं था कि अमेरिका जाने के बारे में सोचेंगे । एक बार जब में शादी के लायक हुआ तो जन्म कुंडली बनवाई , मेरी जन्म कुंडली बनी नहीं थी , अम्मा से जब भी जन्म कि डेट पूछी तो कहती फागुन का महीना था  और हमारी भैंस ने बच्चा दिया था उस समय पैदा हुआ था । अब उस भैंस से कैसे पूछता कि तूने बच्चा कब दिया था ।  खैर , पंडित जी ने जैसे तैसे समीकरण बैठाके कुंडली बनवाई तो सबसे पहले उस समय मैंने पूछा कि मेरा विदेश जाने का योग है कि नहीं ? पंडित जी क्या कहा मुझे याद नहीं शायद मना  ही किया होगा ।

विदेश जाने के चक्कर में ,मैने जॉब लगने के कुछ समय बाद ही अपना पासपोर्ट बनवा लिया था । पासपोर्ट को बने दस साल हो गए कोई मौका नहीं बना । पासपोर्ट  Expire हो गया । मैंने  फिर रीन्यू करवाया और पाँच साल होने के बाद मेरा एक और दोस्त बिल्लू जो कि   कई सालों से यूके  और यूरोप मे जॉब कर रहा था , उससे मैंने  कहा  "यार पासपोर्ट दूसरी बार भी एक्सपायर  होने वाला है एक बार विदेश का ठप्पा  लगवा दे " ।  बिल्लू ने एक की जगह सात  ठप्पे लगवा  दिए । स्वीडन , फ़्रांस , जर्मनी , बेल्जियम , नार्वे , डेनमार्क और स्विट्ज़रलैंड ( जो कि मेरा सपना था ) । जो बात पंडितजी कुंडली में देखकर नहीं बता पाए वो सपना साला एक दोस्त ने पूरा कर दिया ।  

विदेश में एक बार जाने से कॉन्फिडेंस बहुत आ गया । शायद उस समय अपने  एलआईसी ग्रुप में, मैं पहला बंदा था जो विदेश गया था  । इस बार शशि के कहने पर वीजा के लिए तैयार हो गया और वीजा अप्लाइ करने की तरीख थी 13 .11.2022 । ये तारीख ऐसे याद हो गई जैसे हनीमून की  तारीख हो । 

वीजा के लिए  ऑनलाइन फॉर्म  DS-160 भरना होता है । दोनों ने एक समय तय  किया क्योंकि अमेरिका और इंडिया में 12 घंटे का अंतर है यहाँ शाम होती है तो वहाँ सुबह । मैने अपने यहाँ सुबह का समय तय किया । शशि ने फॉर्म भरवाने में पूरी मदद की । जब वीजा की फीस जमा की , जो कि उस समय 13000/- लगभग प्रति व्यक्ति थी,  इंटरव्यू कि डेट आई मई 2025  यानि दो साल बाद। शशि से मैंने कहा ये कैसे ? उसने बताया कि US  के लिए लंबी लाइन  होती है तुम इसे साइट पर जाकर Reschedule करते रहना , ये डेट कम हो जायेगी । इसमे दो डेट होती है है एक OFC  appointment और दूसरी Consular appointment । पहले में Biometric और पेपर चेक होते है दूसरे में  US  Embassy में पर्सनल इंटरव्यू होता है । 

अब मैं हर 15 दिन में ऑनलाइन  इंटरव्यू की  डेट चेक करने लगा  और धीरे धीरे सरकते हुए  अप्रैल 2024 की डेट मिली । 

मई 2023 में मेरा ट्रांसफर  रुड़की से हल्द्वानी हो गया । इसी बीच ऑनलाइन वीजा कि साइट चेंज हो गई और नई साइट में मेरा डाटा दिखा नहीं रहा था , मुझे अप्रैल 2024 के इंटरव्यू की  सही डेट याद नहीं थी , शशि ने भी बहुत ट्राइ किया पर सही डेट का पता नहीं चल पा रहा था । अब एक नई समस्या हो गई , डेढ साल बाद नंबर आया और सही डेट का पता नहीं । खैर, शशि ने सुझाया कि टोल फ्री नंबर पर बात करो वो हेल्प करेंगे । मैंने साइट से टोल फ्री नंबर लेकर फोन घुमाना शुरू किया और वास्तव में इस टोल फ्री नंबर ने मुझे घुमा दिया । पहले एक दबाओ , फिर दो दबाओ , दबाते ही रहो और बाद में बिजी टोन आ  जाती थी । 

बिल्लू ने एक दिन कहा " बेटा  US  का वीजा हैइतनी आसानी से नहीं मिलेगा , लगाते रहो " फिर एक दिन फोन लग गया और डेट थी  03.04.2024 और 15.04.2024   मैं और तुलसी  एक दिन पहले दिल्ली पहुँच गए और वेब साइट से देखकर इंटरव्यू के प्रश्न उत्तर की जोरशोर  से तैयारी करने लगे ।  उसमे एक प्रश्न दोस्त का एड्रैस भी था , उसको रटने में बहुत टाइम लगा । अगले दिन 03 अप्रैल को सुबह 9.30 का टाइम था , हम घबराए हुए थे और दिल्ली के ट्राफिक का रिस्क भी नहीं लेना चाहते थे तो हमारे साले साहब कर्नल भगवान सिंह बिष्ट हमे खुद छोड़ने  चाणक्यपुरी ( जहां पर सारी embassy है )  आए । 

वहाँ फोन आदि कुछ भी allow नहीं है , हमने फोन और अन्य समान कर्नल साहब कि गाड़ी में छोड़ दिया और वो हमे छोड़ कर चले गए ।  लाइन बहुत लंबी थी , ऐसा लग रहा था कि सब लोग इंडिया छोड़ कर अमेरिका जा रहे है । बाकी Embassy में सब खाली दिख रहा था । 

लाइन  में  लगने के बाद जब हमारा नंबर आया तो उन्होंने बताया कि आपको शिवाजी स्टेडियम जाना है बाओमेट्रिक के लिए । हमारे हाथ पाव  फूल गए क्योंकि जो टाइम हमें दिया था वह निकाल चुका था, कर्नल साहब भी जा चुके थे हमारा मोबाईल और सामान लेकर । हमारी घबराहट देखकर एक ऑफिसर ने कहा कि आप शाम तक वहाँ जा सकते है । ये सुनकर ऐसा  लगा जैसे किसी प्रेमिका ने प्रेमी का प्रेमपत्र स्वीकार कर लिया हो । 

अब कर्नल साले साहब को कैसे बुलाए , एक सिक्युरिटी ऑफिसर से फोन मांगा  तो उसने फोन देने से मना  कर दिया  , हमने अपनी समस्या बताई तो उसने कहा कि फोन नंबर बताए वह फोन खुद लगाएगा । आजकल फोन नंबर किसको याद रहते हैअब ऐसा भी नहीं कर सकते कि फोन करके फोन नंबर पूछ लेते ।  तभी तुलसी ने कहा " अपने फोन में कॉल करवाओ शायद कर्नल साहब उठा ले । ऐसा ही किया और ये तीर चल गया ।  

कर्नल साहब ने हमे शिवाजी स्टेडियम छोड़ा , वहाँ जब लाइन में लगकर हमारा नंबर आया तो उन्होंने बताया कि आपको अप्लाइ किए हुए छः महीने से ज्यादा हो गए है इसलिए आपको ये आनलाइन अपडेट करना पड़ेगा । हमने  कहा कि  छः महीने से ऊपर हमारी गलती थोड़ी है नंबर ही डेढ़ साल बाद आया है । उसने कहा आपको यह करवाना ही होगा  अन्यथा सॉरी । 

वहाँ यह नॉर्मल रूटीन था , वहाँ दलाल घूमते रहते है , एक हमारे पास आया बोला एक के अपडेट करने के 1000/- लगेंगे , 2 के 2000/- । मैने कहा लूट मची है सिर्फ अपडेट करने के 2000/- । मैने तुलसी से कहा कि मैं  मोबाईल में खुद अपडेट कर लूँगा लेकिन प्रिन्ट आउट कैसे निकलेगा । तभी एक दूसरा दलाल आया उसने कहाँ  मैं  500/- में करवा दूंगा । तुलसी ने कहा कि कहाँ  चक्कर  में पड़े हो , अमेरिका जा रहे हो और 500/ , 1000/- देख रहे हो । तुलसी का ये हथोड़ा  काम कर गया , अमेरिका के नाम पर लुटने को तैयार हो गया। जब लड़का मन पसंद मिल  जाए और  दहेज थोड़ा ज्यादा देना पड़े तब तकलीफ नहीं होती । 

प्रिन्ट आउट लेकर हमारा बायोमेट्रिक आराम से हो गया , एक आध प्रश्न उन्होंने भी पूछे । क्यों जाना  चाहते हो ? वहाँ कौन है वगैरह  वगैरह । 

अब एक हरडल तो पार कर लिया था दूसरा  हरडल 15 अप्रैल को था । मैं  सोच रहा रहा था , ये सब तो एक ही जगह और एक ही दिन हो सकता था , दो दिन बुलाने का कान्सेप्ट मेरी समझ में नहीं आया । 

लोगों ने डरा  रखा था कि अमेरिका का वीजा इतनी आसानी से नहीं मिलता है । लेकिन मेरा प्लस पॉइंट ये था कि मैं  एलआईसी में जॉब में थे दूसरा यूरोप घूम कर आया था बिल्लू की  दौलत । 

 15 अप्रैल को US Embassy हम समय पर पहुँच गए । एक लम्बी लाइन के बाद हमारा नंबर आया । वहाँ इंटरव्यू के लगभग 10 काउन्टर बने होंगे । एक काउन्टर पर एक खूबसूरत अंग्रेज लड़की बैठी थी । मैंने तुलसी से कहा कि हमारा इंटरव्यू ये ले तो अच्छा है , भले ही वीजा न लगे लेकिन एक खूबसूरत लड़की से इंटरव्यू तो हो जाएगा । तुलसी ने कुहनी मारते हुए और मुझे घूरते हुए  कहा तुम नहीं सुधरोगे । 

किस्मत बहुत साथ दे रही थी , उसी खूबसूरत लड़की के सामने हमारा इंटरव्यू का नंबर आया । तुलसी ने मुझे चंचल भरी नज़रों से देखा । जैसे कह रही हो , बड़े लकी हो तुम । 

मैने  शशि का एड्रैस रट  रखा  कहा था 107 BEACON FALLS CT, CARY , NORTH CAROLINA  27519,  क्योंकि ये बताया गया कि सबसे पहले ये पूछेंगे कि US में आप कहाँ जाएंगे

 लेकिन उस खूबसूरत लड़की ने  पूछा " Mr Chand you are going to NORTH CAROLINA  ? "

I said " yes "  

She asked " have u visited any other foreign country? " 

I said " yes,  I have visited seven  European countries "

फिर उसने तुलसी से पूछा "  Why didn't you go to Europe with your husband ?"

तुलसी ने कहा  " I was busy with my children"

फिर उसने शशि के बारे में , उसके जॉब के बारे में और मेरे जॉब के बारे प्रश्न पूछे । 

अंत में  उसने कहा " your visa has been accepted और उसने हमारे पासपोर्ट ले लिए । 

तुलसी खुशी से उछल पड़ी और उससे बोली " Thank you Thank you Thank you "

Embassy से बाहर निकलते हुए गर्व कि अनुभूति हो रही थी । 

तुलसी ने कहा " मुझे अमेरिका जाने कि उतनी खुशी नहीं है जितनी इस वीजा के इंटरव्यू को clear करने की  है " मुझे ऐसा  लग रहा था जैसे किसी आईएएस का Exam.  क्रैक कर लिया हो    

 



Tuesday, November 28, 2023

ख़ुशी

                              *ख़ुशी *

चमकते बदलो से,

              गुनगुनाती ठंड में 

                                   उतर कर आयी एक परी, 

मख़मली बालों सी , 

              कमल के गालों सी 

                           चाँदनी सी प्यारी , नाम था ख़ुशी ,

पुलकित हृदय , जगमगायें रौगतें

                   सृष्टि की सारी रचनाएँ , थी उसमें छुपी , 

नन्ही सी बूँद की तरह, विशाल सागरो में , 

                          सृष्टि की अद्वितीय थी तुम रागिनी , 

माँ की मुस्कान , पिता का अभिमान , 

                      भगवान की कृपा का प्रतीक थी तुम ख़ुशी , 

धूप में छाया बन , मेरी राहो का सहारा , 

               आशीर्वाद बनी , अब है ये सच कितना , 

पर समझाये मुझे , तू क्यों भूल गई 

               मासूमियत में , कैसे हो जाता है गिला, 

छोड़ा मैंने सब कुछ तेरे लिए , 

                फिर क्यों इस दिल को, दिया तूने सजा,

खुदा की दुआओं में, तेरा नाम था हर पल,

                  ख़ुशी , क्यों बनी तू, मेरे दिल की खता, 

मेरे सपनों को, तूने कैसे तोड़ा,

     ख़ुशी, तू मेरी ज़िन्दगी की कहानी थी, क्यों भूला।

Saturday, November 4, 2023

चलो अमेरिका

                                                चलो अमेरिका 

नैनीताल जिले की एक छोटी सी तहसील थी किच्छा जो अब उधम सिंह नगर जिले में है । उसके आस पास कई छोटे छोटे गांव थे उनमें से एक गांव था खुर्पिया फार्म । कोई सेठ तुलसी दास थे जिन्होंने सरकार से यह फार्म 99 साल की लीज पर लिया था । यह लगभग 2000 एकड़ का फार्म था , इसमे लगभग 600 वर्कर्स काम करते थे। इसके आस पास देवरिया, बंदिया, शांतिपुरी आदि गांव थे । एक छोटा सा स्कूल था,  जिसमें खुर्पिया फार्म के वर्कर्स के बच्चे और आस पास के गांव के बच्चे पढ़ने आते थे । 

पूरे गांव में एक ही दुकान हुआ करती थी चंचल की दुकान । यह दुकान सबकी मीटिंग पॉइंट हुआ करती थी । दुकान के पास एक चबूतरा हुआ करता था सब शाम को वहां बैठा करते थे और पूरे गांव की चर्चा यहां पर होती थी । पूरे गांव का समाचार यहां से मिल जाता था और हाँ पूरे गांव में केवल एक ही न्यूज़ पेपर आता था वह भी चंचल की दुकान में नाम मुझे अभी भी याद है  अमर उजाला ।

मैंने बचपन से पेपर पढ़ना यही से सीखा , बाकी खबरें तो याद नही लेकिन एक खबर याद है इमेरजेंसी की खबर , उसमे से भी सबकी नसबंदी की खबर । क्योकिं गांव में चर्चा होती रहती थी कि अब फलां आदमी की नसबंदी हो गयी है और वो बधिया हो गया है । तब उसका मतलब समझ में नही आता था ।

देश विदेश की खबरें उस अमर उजाला से ही मिलती थी । तब अमेरिका के बारे में स्कूल में ही पढ़ा था या फिर न्यूज़ पेपर में पड़ते थे । उसके बारे में इतना जरूर जानते थे कि जब हमारे यहां दिन होता है तो वहां रात होती है । यह सब  पृथ्वी के घूमने के घूमने के कारण होता है ऐसा साइंस में पढ़ा था। पृथ्वी घूमने से हम क्यों नही घूमते है,  तब ये नही पता था ।

चबूतरा हमारा सोशल लाइजिंग का बहुत बड़ा केंद्र था । वहां बच्चे से लेकर बूढ़े तक आकर बैठा करते थे । यहां पर बैठे बैठे बाघ बकरी गेम खेला करते थे ।

गांव में जो बाकी गेम थे गुल्ली डंडा ,क्रिकेट , लबड़ हत्ता, तीपोलिया, आइस पाइस, पिड्डू, कंचे । बड़ा मजा आता था ये सब गेम खेलने में । 

यही हमारी दुनिया थी स्कूल जाना और खेलना । 

बचपन से पढ़ने में मैं होशियार था, शायद में अपने क्लास में फर्स्ट आता था इसीलिए लोग कहते होंगे । 

मोहन लाल मासाब को जरूर याद करूँगा, जिन्होंने बचपन में मेरी पढ़ाई की नींव मजबूत रखी । वो हमारे घर में स्कूल के बाद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे मुझे फ्री में । एक बार उन्होंने मेरे पिताजी से कहा कि मुझे कक्षा 4 से सीधे 6 में रख देते है बच्चा पढ़ने में होशियार है एक साल का फायदा हो जाएगा । पिताजी पढ़े लिखे नही थे उन्होंने इस बात को कोई तबज्जो नही दी ।

राम चन्दर मुझसे सीनियर था और पढ़ने में बहुत होशियार था वह भी अपने क्लास में फर्स्ट आता था । एक प्रकार से वह मेरे लिए आदर्श था । स्कूल किताब के अलावा 

अन्य किताबे जैसे चम्पक, चंदामामा, सरिता, गृहशोभा, चाचा चौधरी, राम रहीम आदि पढ़ना उसने ही सिखाया । स्कूल की किताब से निकलकर अन्य जानकारी मुझे इन किताबो से ही मिली । किताबें पढ़ना मुझे अच्छा लगने लगा । 

एक दिन राम चन्दर ने कहा कि उपन्यास पढ़ों उसमे ये लगता है कि सामने फ़िल्म चल रही है , फिर वेद प्रकाश, कर्नल रंजीत के उपन्यास मांगकर या किराये पर लाकर खूब पढ़े ।

हमारे लिए मनोरंजन के साधन खेलना और किताबे पढ़ना। तब टीवी नही हुआ करते थे । पहला टीवी फार्म मैनेजमेंट ने लगवाया उसे देखने पूरा गांव आया था वह सीन मुझे आज तक याद है , उसमे फ़िल्म आयी थी  - देख कबीरा रोया । पूरी फिल्म में एक आदमी टीवी का एंटीना घुमाते रहा । फ़िल्म तो याद नही रही लेकिन टीवी पहली बार देखा था और टीवी का एंटीना घुमाना आज भी याद है ।

केसर जूनियर स्कूल केवल कक्षा 8 तक ही था । उसके बाद हमे पढ़ने किच्छा, शांतिपुरी या रूद्रपुर जाना होता था । 

किच्छा पास था लेकिन वहां पर एक ही इंटर कॉलेज था जनता इंटर कॉलेज । एक तो वहाँ साइंस साइड नही थी और कॉलेज थोड़ा बदनाम भी था ।

सबने दिमाग में डाल रखा था कि साइंस साइड ही लेना । होशियार बच्चे साइंस साइड ही लेते है और वो ही डॉक्टर, इंजीनियर बनते है । हमारे गांव से प्यारे भाई साहब जिन्होंने साइंस साइड ली थी इंजीनियर बन गए थे उनकी माँ ने उनकी पढ़ाई के लिए सपने सारे जेवर बेच दिए थे , ऐसा गांव में चर्चा थी । मेरी माँ के पास तो जेवर भी नही थे कुछ साल पहले घर से चोरी हो गए थे ।  

खैर, होधियार बच्चे साइंस लेते है , इसीलिए शांतिपुरी मे कक्षा 9 में दाखिला ले लिया । 

खुर्पिया के चबूतरे में  सोशलाइज़िंग के साथ साथ मदारी, नुक्कड़ आदि भी हुआ करते थे । 

एक नुक्कड़ आज भी  मेरे जेहन में है । एक अंधा आदमी गाकर एक प्रेम कहानी सुनाता है । एक लड़का एक लड़की से बेहद प्यार करता है , वह लड़का अपनी प्रेमिका से कहता है कि वह उसके लिए कुछ भी कर सकता है । लड़की कहती है मुझे तुम्हारी माँ का दिल चाहिए । लड़का अपनी माँ से यह बात कहता है कि वह लड़की से बेहद प्यार करता है और उसने आपका दिल मांगा है । माँ लड़के के प्यार की खातिर अपना दिल चीर कर लड़के को दे देती है । लड़का जब माँ का दिल हाथ में लेकर अपनी प्रेमिका को देने जा रहा होता है तो रास्ते में उसे ठोकर लगती है और माँ का दिल लड़के के हाथ से गिरकर नीचे गिर जाता है , तब माँ के दिल से आवाज आती है बेटा तुझे चोट तो नही लगी । 

खुरपिया फार्म यह गाँव ही हमारी दुनिया थी । हम नैनीताल जिले में जरूर रहते थे लेकिन कभी गए नहीं थे । सुना था वहाँ एक बहुत बड़ी झील है और बादल धरती पर चलते है । सोचते थे कैसा लगता होगा । येसा ही अमेरिका के बारे में सोचते थे वहाँ कैसा होगा लोग कैसे होंगे ? कैसे रहते होंगे ?  वहाँ जाने के बारे में कभी नहीं सोचा । सोचते भी कैसे कभी कस्बे से बाहर गए नहीं थे ट्रेन तक में बैठे नहीं थे , हवाई जहाज में बैठने के कैसे सोचते । 

कक्षा 7 और 8 में आते आते मैं नायक बन गया था । हमरे यहाँ कक्षा 6 से स्काउट और गाइड के ट्रेनिंग और एक्टिविटी होती थी , इसमे मुझे पहले टोली नायक फिर दल नायक बना दिया था । मैं अपने पूरे स्कूल के रेप्रेजेंट करता था । 

अब नायक जब शांतिपुरी कक्षा 9 मेँ दाखिला लेता है, तो उसे उसकी प्रतिभा को देखकर उसे पूरे collage मेँ  सुबह होने वाली प्रार्थना और शपथ की ज़िम्मेदारी भी उसको दे दी जाती है । नायक को इस ज़िम्मेदारी से कोई डर नहीं था पर परेशानी यह थी की नायक को खुरपिया फार्म से शांतिपुरी न॰ 1 स्कूल लगभग 12 किमी दूर था और नायक को रोज साइकल से आना जाना पड़ता था और सुबह प्रार्थना करवाने के लिए स्कूल जल्दी आना जरूरी था । नायक के पास साइकल भी नहीं थी वह साथ वालों से साथ साइकल मेँ doubling करके जाता था । doubling मेँ साइकल दोनों लोगो को पेंडल मारने होते है । 


Tuesday, December 20, 2022

LIC Agent क्या चाहता है ?

 पूरे विश्व मे LIC एजेंट ही  ऐसा  व्यक्ति है जो आपकी परिवार की सलामती चाहता है | 

  • एक डॉक्टर ये आशा करता है कि आप बीमार हों .............
  • एक वकील ये आशा करता है कि आप किसी मुसीबत में फंसे ................
  • एक मकान मालिक ये आशा करता है कि आप अपना घर न खरीदें ..................
  • एक मैकेनिक ये चाहता है कि आप कि गाड़ी खराब हो जाए ................
  • एक पत्रकार ये आशा करता है कि कहीं कोई घटना घट जाए ..............
परंतु केवल LIC Agent  ये दुआ करता है कि आप सदैव स्वस्थ रहे और दुर्घायु हो | 
इसीलिए एलआईसी एजेंट का सम्मान करें | 

Friday, November 11, 2022

ये मेरी लाइफ है - अर्जुन चंद | एक डॉक्युमेंट्री फ़िल्म

 एक साधारण व्यक्ति की कहानी , जो हर हालात में खुश रहा ,  जिसने खुशी पैसों में नहीं अपने अंदर  तलाश की ।