Wednesday, November 11, 2020

वुहान से दमुआंढूँगा : कोरोना को मात

     

           वुहान  से दमुआंढूँगा : कोरोना को मात

ह्वेनसांग (Hiuen Tsang) एक चीनी यात्री था । कहा जाता है कि  ह्वेनसांग 7वीं सदी में भारत आया और उसने बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी पवित्र स्थलों का भ्रमण किया | ऐसा माना जाता है कि ह्वेनसांग भारत से 657 पुस्तकों की पांडुलिपियां अपने साथ ले गया था. भारत से चीन वापस आने के बाद उसने अपना शेष जीवन इन ग्रंथों का अनुवाद करने में बिता दिया था.

कोरोना तुम उसी चीन की धरती वुहान से निकलकर आये हो   तुम  वुहान  से चलकर पूरे विश्व का  भ्रमण करते हुए आखिर दमुआंढूँगा तक पहुँच गए ह्वेनसांग जब भारत से बौद्ध धर्म और पांडुलिपियाँ ले गए थे फिर तुम भारत में क्या लेने आये हो  तुम किस बात का बदला  लेने आये हो ? पूरे  विश्व की अर्थव्यस्था चौपट कर चुके हो अभी तक १० लाख से अधिक लोगो को अपना काल का ग्रास बना चुके हो करोड़ो लोगो का रोज़गार छीन चुके हो |

कोरोना हमने तुम्हारे लिए क्या क्या नहीं किया , जिससे तुम न आओ |

हमने ताली बजायी , तुम नहीं माने ,

हमने थाली बजायी, तुम नहीं माने ,

हमने दिए जलाये , शंख बजाये तुम नहीं माने ,

सारे ऑफिस , स्कूल , कॉलेज, बाजार सब महीनो तक बंद रक्खे , तुम नहीं  माने ,

आखिर तुम दमुआंढूंगा ( जहाँ मैं रहता हूँ ) , वहां आ ही  गए |

कोरोना की दस्तक मुझे  तब लगी जब एक दिन मुझे ऑफिस के मेरे मित्र एवं सहयोगी ने बताया कि उनकी वाइफ़ कोरोना पॉज़िटिव हो गयी है और उन्होने अपना सेम्पल कोरोना टेस्ट के लिए दे दिया है | यह खबर सुनते ही मेरे सिर मे हल्का दर्द शुरू हो गया | मैं समझ नहीं पाया कि यह psychological था या कोरोना ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था |

जब मैं ऑफिस से घर पहुंचा तो सबसे पहले मैंने अपनी लड़की के कमरे में कब्जा जमाया और अपने आपको home isolation में रख दिया | और सहयोगी मित्र के रिज़ल्ट आने का इंतजार करने लगा | अगले दिन 2 OCT होने के कारण टेस्ट रिज़ल्ट नहीं आया | इस रिज़ल्ट का इंतजार येसे हो रहा था जैसे किसी बच्चे के बोर्ड का रिज़ल्ट आने वाला हो | घर वाले भी टकटकी लगाए हुए थे बार बार कह रहे थे फोन से पूछो, फोन से पूछो  |

तीसरे दिन जब शाम को खबर आई कि सहयोगी मित्र की रिपोर्ट पॉज़िटिव आ गयी है , तो गले में हल्का दर्द होना शुरू हो गया मैं फिर समझ नहीं पाया कि यह psychological था या कोरोना का असर |

इस खबर से घर में हड़कंप मच गया | सारे whatsapp  और youtube  चैनल देखे जाने लगे | जिन जिन लोगो को कोरोना हुआ था उनसे संपर्क कर उनकी महत्वपूर्ण राय ली गयी | जिस डॉ से पहचान थी उनसे परामर्श लिया गया |

उसी दिन से कोरोना का कोर्स शुरू कर दिया गया ( अभी अपना टेस्ट नहीं कराया था ) | मेरा कोर्स इस प्रकार था -

Ivermectin 12 mg  दिन में एक बार 3 दिन तक

Doxycycline 100 mg दिन में 2 बार 5 दिन तक

Becosoule  दिन में 1 बार 5 दिन तक

Bitamin C दिन में 1 बार 5 दिन तक

बुखार आने पर paracitamole

दिन में तीन बार नमक पानी से गरारे

दिन में तीन बार भाप

गर्म पानी ज्यादा से ज्यादा 

और हाँ विटामिन डी के लिए सुबह की धूप और साथ में योगा

हर 2 घंटे में थर्मामीटर से बुखार नापना |

 

पत्नी जी  की कृपा से इस कोर्स का कड़ाई से पालन किया गया | साथ में पतंजलि का कोरोनिल का कोर्स भी शुरू करवा दिया |

 

बुखार तो मुझे नहीं आया था पर गले में दर्द जरूर हो रहा था |

सोमवार को ऑफिस में सबका कोरोना  टेस्ट किया गया क्योकि मैं ऑफिस नहीं गया था इसीलिए मेरा टेस्ट नहीं हुआ | अगले दिन दो और कोरोना पॉज़िटिव आ गए | अब मैं सोच रहा था कि टेस्ट कराऊँ या नहीं | इस उधेड्बून में शाम को जब मैने विक्स लगाया तो मुझे महसूस हुआ कि मुझे तो इसकी smell ही नहीं आ रही है | अब मुझे लगने लगा था कि कोरोना मेरे पास आ चुका है और अगले ही दिन मैं अपना टेस्ट करवाने पहुँच गया | मैंने कहा कि मेरा रैपिड टेस्ट कर दो जिससे मेरा confusion दूर हो जाए लेकिन उन्होने कहा कि इस टेस्ट से रिज़ल्ट सही नहीं आता है इसलिए आपका RT-PCR टेस्ट ही होगा | खैर,  लगभग 2 घंटे इंतजार के बाद मेरा टेस्ट हो गया | मुझे फिर भी विश्वास था कि मेरा नेगेटिव ही आएगा | अपने आपकी  संतुष्टि के लिए तरह तरह की चीज़ों को सूंघने लगा | कभी खुशबू आती और कभी नहीं आती | मैं पूरी तरह कन्फ्युज हो चुका था पॉज़िटिव या नेगेटिव ?

जब अगले दिन शाम को  कंट्रोल रूम से मुझे फोन आया कि मेरा रिज़ल्ट पॉज़िटिव आया है | इस रिज़ल्ट के आते ही मुझे वह अनुभव हुआ जो शायद किसी को 4 बार एक ही क्लास में फेल होने पर भी न होता हो |

सबसे पहले मैं सबकी नज़र में एक दयनीय प्राणी बन गया | मैं एक कैदी की तरह रहने लगा | मुझे थाली गिलास और मग आदि अलग से दे दिये गए | जब भी खाना देते उसमे उपर से डाल देते | मैं अपने बर्तन खुद ही धोने लगा,ये काम मैंने तब किया था जब मैं Collage पढ़ने आया था और हम लोग रूम लेकर रहते थे | मुझे वॉशिंग मशीन भी चलानी आ गयी जो कि मैंने अभी तक नहीं चलाई थी | अभी तक मोहल्ले में लोगो को पता नहीं चला था लेकिन जैसे ही प्रशासन वालों ने घर के आगे बल्लियाँ  लगा दी और एक पोस्टर लगा दिया तब लोगों ने मुझे बाल्कनी मे देखते ही मुँह छुपाने लगे, कहीं कोरोना उड़कर उनके पास न आ जाए |

जब कंट्रोल रूम से मुझे पॉज़िटिव होने कि सूचना दी तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे फेल होने कि सूचना दे रहे हैं। मुझसे पूछा गया कि यदि मैं होम क्वारंटीन होने चाहता हूँ तो निम्न शर्तो को पूरा करना होगा –

1॰ आपका रूम बिलकुल अलग होना चाहिए

2. बाथरूम अलग होना चाहिए

3. कमरे की फोटो और बाथरूम की फोटो भेजनी होगी

4. एक केयरटेकर होना चाहिए जो स्वस्थ हो और उसका मोबाइल नंबर |

5. एक प्रार्थना पत्र CMO ऑफिस को,  कि मैं  कोरोना पॉज़िटिव हूँ और होम क्वारंटीन होना चाहता हूँ और उपरोक्त शर्तो को पूरा करता हूँ |

 

अगले दिन कंट्रोल ऑफिस से एक दवाई का किट दिया गया क्योंकि मैं 5 दिन के दवाई का कोर्स पहले ही पूरा कर चुका था इसीलिए मैंने इन दवाई को नहीं खाया | इसके बाद रोज कंट्रोल ऑफिस से हालचाल पूछने के लिए फोन आने लगे | इसके अलावा फोन और Whatsapp पर “Get well soon”  के मैसेज आने लगे |

मुझे  एक कैदी की सी फीलिंग आने लगी | एक कमरे के अंदर बंद और अपने थाली बर्तन , कपड़े धोना आदि |

 

कोरोना, तुमने हमें कई अच्छी चीजें भी सिखायी –

1॰ साफ सफाई रखना बहुत जरूरी है - बार बार हाथ धोना , हर समय मुहं में मास्क बांधना, सेनेटाइज करना आदि |

2. घर के कामों को खुद करना जरूरी है  – झाड़ू लगाना , पोछा लगाना, बर्तन धोना, कपड़े धोना (कोरोना काल में कामवाली ने भी आना छोड़ दिया था ) |

3. परिवार के साथ अधिक समय बिताना – जब कहीं जाना ही नहीं तो परिवार के साथ अधिक से अधिक समय बिताया |

4. नमस्ते करना सीखा देना – पूरी दुनिया ने माना कि हमारी संस्कृति में हाथ जोड़कर नमस्ते करना , कोरोना काल में सबसे अच्छा तरीका है |

5. जीवन में संघर्ष करना सिखाया – लाखों लोगो कि नौकरियाँ चली गयी | कोरोना ने सिखाया कि जीवन में संघर्ष कैसे करना है |

6. कम खर्च में सब संभव है – शादी विवाह, अन्य सामाजिक कार्यक्रम कम खर्च में संभव है ये कोरोना ने बता दिया |

7. योग, ध्यान एवं व्यायाम जीवन में आवश्यक है – अगर कोरोना को हराना है तो योग, ध्यान एवं व्यायाम जीवन में आवश्यक है, ये कोरोना ने बता दिया |

8. ऑनलाइन सबको सीखा दिया – स्कूल कॉलेज के बच्चे हो या ऑफिस का काम हो, सबको ऑनलाइन सीखा दिया |

9. जीवन की सोच में बदलाव – इस कोरोना काल में हमारे जीवन में, जीने की सोच में, व्यवहार में और चिंतन में बहुत बड़ा बदलाव आया है |

 

इन सब बातों को मैंने अपने होम क्वारंटीन के दौरान अनुभव किया | इस 17 दिनों के होम क्वारंटीन के दौरान मुझे सबसे कड़वा अनुभव मिला, वह था –

मेरी लड़की ने धमकी दी कि “ अब चाहे घर में कोरोना किसी को भी हो, मैं अपना कमरा किसी को नहीं देने वाली हूँ “ |     

 

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# यह लेख कोरोना पॉज़िटिव आने पर ,अपने अनुभव पर आधारित            

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